इस पुरानी ग़ज़ल को हिंदी में यहाँ पढ़ें.. आदिल रशीद
निभाए हम ने मरासिम यूँ बदजुबान के साथ
के जैसे रहता है आईना इक चटान के साथ
ज़मीं भी करने लगी अब दुआ किसान के साथ
के दरया बहने लगा खतरे के निशान के साथ
है तेरे हाथ में अब लाज उसकी रब्बे करीम
परिंदा शर्त लगा बैठा आसमां के साथ
हम ऐसे लोग भला कैसे नींद भर सोयें
के जाग उठती हैं फिकरे मियाँ अज़ान के साथ
कहीं ये बढ़ के मेरा हौसला न क़त्ल करे
तभी तो जंग छिड़ी है मेरी थकान के साथ
वो जिसके सामने दरया ने नाक रगडी है
हमारा रिश्ता है उस आला खानदान के साथ
गरीब होने से तहजीब मर नहीं सकती
वो चीथड़ो में भी रहता है आन बान के साथ
निभाए हम ने मरासिम यूँ बदजुबान के साथ
के जैसे रहता है आईना इक चटान के साथ
ज़मीं भी करने लगी अब दुआ किसान के साथ
के दरया बहने लगा खतरे के निशान के साथ
है तेरे हाथ में अब लाज उसकी रब्बे करीम
परिंदा शर्त लगा बैठा आसमां के साथ
हम ऐसे लोग भला कैसे नींद भर सोयें
के जाग उठती हैं फिकरे मियाँ अज़ान के साथ
कहीं ये बढ़ के मेरा हौसला न क़त्ल करे
तभी तो जंग छिड़ी है मेरी थकान के साथ
वो जिसके सामने दरया ने नाक रगडी है
हमारा रिश्ता है उस आला खानदान के साथ
गरीब होने से तहजीब मर नहीं सकती
वो चीथड़ो में भी रहता है आन बान के साथ
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