Tuesday, October 1, 2013

निभाये हम ने मरासिम यूँ बदजुबान के साथ .......आदिल रशीद nibhaye ham ne marasim yun badzubaan ke saath.. aadil rasheed


इस पुरानी ग़ज़ल को हिंदी में यहाँ पढ़ें.. आदिल रशीद

निभाए हम ने मरासिम यूँ बदजुबान के साथ
के जैसे रहता है आईना इक चटान के साथ

ज़मीं भी करने लगी अब दुआ किसान के साथ 
के दरया बहने लगा खतरे के निशान के साथ

है तेरे हाथ में अब लाज उसकी रब्बे करीम
परिंदा शर्त लगा बैठा आसमां के साथ

हम ऐसे लोग भला कैसे नींद भर सोयें
के जाग उठती हैं फिकरे मियाँ अज़ान के साथ

कहीं ये बढ़ के मेरा हौसला न क़त्ल करे
तभी तो जंग छिड़ी है मेरी थकान के साथ

वो जिसके सामने दरया ने नाक रगडी है
हमारा रिश्ता है उस आला खानदान के साथ

गरीब होने से तहजीब मर नहीं सकती
वो चीथड़ो में भी रहता है आन बान के साथ
 

wo mujhe janta hi kitna tha ... aadil rasheed वो मुझे जानता ही कितना था ... आदिल रशीद

full ghazal
प्यार का सिलसिला ही कितना था
शब् को मैं जागता ही कितना था

pyaar ka silsila hi kitna tha 
shab ko mai'n jagta hi kitna tha

तुझको अफ़सोस मैं ने कुछ न कहा
और तू भी खुला ही कितना था

tujhko afsos mai'n ne kuch na kaha
aur tu bhi khula hi kitna tha

बेवफाई का क्या करे शिकवा
तू हमारा हुआ ही कितना था

bewafayee ka kya kare'n shikwa
tu hamara hua hi kitna tha

मैं ने ये कह के दिल को समझाया
वो मुझे जानता ही कितना था

mai'n ne ye keh ke dil ko samjhaya
wo mujhe janta hi kitna tha

हँस के देखा पिघल गया ज़ालिम
फिर वो रूठा हुआ ही कितना

hans ke dekha pighal gaya zaalim
phir wo rutha hua hi kitna tha

आज बर्बाद हूँ तो ग़म क्यूँ है
तू मुझे टोंकता ही कितना था

aaj barbaad hu'n to gham kyu'n hai
tu mujhe tokta hi kitna tha

ऐसे वैसों के हाथ आ जाता
दाम मेरा गिरा ही कितना था

aiso'n waiso'n ke hath aa jata
daam mera gira hi kitna tha

बे सबब ही उदास हो आदिल
मिलना जुलना हुआ ही कितना था

besabab hi udas ho aadil
milna julna hua hi kitna tha
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