Wednesday, June 27, 2012

तेरी तारीफ़ लिक्खूं भी तो आखिर किस तरह लिक्खूं नज़र जो देखती है वो कलम तो लिख नहीं सकता आदिल रशीद


तेरी तारीफ़ लिक्खूं भी तो आखिर किस तरह लिक्खूं
नज़र जो देखती है वो कलम तो लिख नहीं सकता
आदिल रशीद

تیری تعریف لکھوں  بھی تو آخر کس طرح لکھوں
نظر جو دیکھتی ہے وہ قلم تو لکھ نہیں سکتا
عادل رشید

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