Thursday, November 10, 2011

इस व्लोग पर मेरी आखिरी पोस्ट ..आदील रशीद last post aadil rasheed

दोस्तो ये पोस्ट मैन ने e-kavita पर लिखी थी मैं उसे वैसा का वैसा ही यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ. लेकिन मैं इस व्लोग पर लिखूँगा नहीं इस व्लोग पर ये मेरी आखिरी पोस्ट होगी आगे से मैं अपनी पोस्ट www.aadil-rasheed-india.blogspot.com पर लिखूँगा..आदिल रशीद 


सोच जिनकी अपंग होती है....aadil रशीद


दोस्तों काफी वक़्त से आप तक कोई नयी पोस्ट नहीं पहुँच सकी कारण था मेरे सारे ब्लॉग जो इस  id  aadil .rasheed1967 
@gmail.com  से  बने  थे  वो डीलीट कर दिए गए है कमाल ये है के मुझे पता चल चुका है के किस ने डीलीट किये हैं उसका आई पी भी पता चल गया है जल्द ही उस पर कानूनी प्रक्रिया की जायेगी 
मैं आभारी हूँ श्री राजीव भरोल का जिन्होंने मेरी सहायता की मेरे जो लेख वहां थे वो सब उन्होंने कैसे कॉपी कर के पहुंचाए ये तो वो ही जान सकते हैं उनका मैदान है वो अमेरिका में ओर्कल मे कार्य करते हैं दक्ष हैं उनकी मदद से मुझे मेरी रचनाएँ मिल गयीं तथा  संसार में अच्छे लोग जियादा हैं इस बात पर मेरा विस्वास और जियादा मज़बूत हुआ है
जिसने डीलीट किये हैं वो कविमना दिमाग से अपाहिज हो चूका है  वो मुझसे और क़ानून से तो बेशक छुप जाए लेकिन अपने ज़मीर से कैसे छुपेगा.उसका ज़मीर उसको आज भी परेशान कर रहा होगा और हर रात सोने से पहले उस से यही सवाल पूछेगा के उसको क्या मिला ऐसा कर के क्यूँ के मुझे तो मेरी सामग्री मिल गई और जो मुझे पढ़ते हैं मुझसे प्रेम करते हैं वो लोग दोबारा फिर मुझ से जुड़ गए हैं और जो रह गए हैं रफ्ता रफ्ता वो भी जुड़ जायेंगे 
लेकिन उस से तो साइबर अपराध हो गया और जिस दिन ये भेद खुलेगा उस दिन वो समाज का सामना कैसे करेगा जिसके सामने वो एक कविमना का मुखोटा लगा कर आता है 

स्टीव जोब्स ने कभी किसी की साईट हैक नहीं की उसने भले छोटी उम्र पाई लेकिन सदियों पर भारी है उसकीउम्र .   रहती दुनिया तक लोग उसको याद करेंगे  कम से कम उस को स्टीव जोब्स की  जीवनी एक बार तो "दिल से " पढनी चाहिए 
कमाल (नीचता)की हद ये है के वो इस कायरता को अपने चमचों चम्चियों में बड़े फख्र से बताते भी होंगे के देखो मैं ने उसका ब्लॉग हैक कर दिया उसकी साईट हैक कर दी/डीलीट कर दी इस पर मैं तो एक बात कहता हूँ के 
"किसी को धोका देने के बाद ये नहीं सोचना चाहिए के आप चालाक कितने हैं बल्कि ये सोचना चाहिए के धोका खाने वाला आप पर कितना यकीन करता था"
आप इस बात का चर्चा करके अपनी महानता नहीं कायरता का बखान कर रहे हो  
 मुझे अपने करम फरमा मरहूम (स्वर्गीय) अहमद कमाल परवाज़ी का ये मतला आज बहुत याद आया 

जो ज़ख्म दे गए उन्हें गहरा तो मत करो
हम बेवकूफ हैं कहीं चर्चा तो मत करो


और अपने बहुत पुराने शेर आज बहुत याद आये 


 सोच जिनकी अपंग होती है 
 ऐसे लोगों का कुछ इलाज नहीं


अपाहिज सोच के मालिक हैं जितने 
उन्हें कुछ भी कहो मानव न कहना 


ऐसे अफाहिज सोच के लोगों को अगर आप सच बताना भी चाहो, समझाना भी चाहो तो वो सच स्वीकार नहीं करते बलके हक बयानी (सच बोलना) करने वालों को लिस्ट से ही डीलीट कर देते हैं 
उनके लिए मैं ने एक शेर कहा था 
ख्याल रखना ज़रा सी भी हकबयानी की
वो अपनी लिस्ट से तुमको डीलीट कर देगा 



मैं उसे मुज़फ्फर हनफी का ये शेर भी नहीं सुनाऊंगा

''आइना खाने मेरा चेहरा मुझे वापस कर 
वरना मैं हाथ बढ़ा सकता हूँ पत्थर की तरफ,,


क्यूँ के मैं अपनी ही किसी चीज़ को भीक में नहीं मांग  सकता हाँ कानून की शरण में ज़रूर जाऊंगा और जब वो मेरे ब्लॉग वापस कर देगा उसके बाद भी मैं उस पर कभी लिखूंगा कुछ नहीं लेकिन उससे ब्लॉग वापस ज़रूर लूँगा चाहें उस के लिए कितनी ही दूर क्यूँ न जाना पड़े क्यूँ के अब ये लड़ाई सत्य और असत्य की है सत्य असत्य की लड़ाई में सत्य सदा से ही असत्य को बेनकाब करता आया है मुझे विश्वास है यहाँ भी सत्य ही विजयी होगा.

दोस्तों आप लोगों का प्यार ही मेरी शक्ति है
और जो लोग तकनीकी रूप से निपुण हैं उनको लिखना चाहिए के कैसे हम अपने ब्लॉग को सुरक्षित कर सकते हैं 
अंत में एक बार फिर आपको कष्ट के लिए खेद  सत्यमेव जयते आदिल रशीद 



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1 comment:

निर्झर'नीर said...

"किसी को धोका देने के बाद ये नहीं सोचना चाहिए के आप चालाक कितने हैं बल्कि ये सोचना चाहिए के धोका खाने वाला आप पर कितना यकीन करता था".......adil bhai ab kya kahe kuch bhi to nahi bacha kahne ke liye ..
ख्याल रखना ज़रा सी भी हकबयानी की
वो अपनी लिस्ट से तुमको डीलीट कर देगा kya baat kahi hai behatriin man kya aatma prasann ho gayi is sher kopadhkar

''आइना खाने मेरा चेहरा मुझे वापस कर
वरना मैं हाथ बढ़ा सकता हूँ पत्थर की तरफ,...

सत्यमेव जयते ...aapke sath koi lakh chahe to bhi bura nahi kar sakta .

u r great ..aap ki shaan m kuch bhi kahna kamtarii lagta hai