Wednesday, October 12, 2011

जिस किसी दिन तुम उसूलों के कड़े हो जाओगे / aadil rasheed

जिस किसी दिन तुम उसूलों के कड़े हो जाओगे
बस उसी दिन अपने पैरों पर खड़े होजओगे
सच को समझाने की खातिर ये दलीलें ये जूनून
देख लेना एक दिन तुम चिडचिडे हो जाओगे
मैं महाज़े ज़िन्दगी पर सुरकरु हो जाऊंगा
तुम अगर मेरे बराबर मे खड़े हो जाओगे
कोई गैरतमंद मोहसिन खुद ब खुद मर जायेगा
सामने उसके जो तुम तनकर खड़े हो जाओगे
वो जहाँ दीदा था उसने इल्म यूँ आधा दिया
जानता था तुम बराबर से खड़े हो जाओगे
सब यहाँ अहले नज़र हैं क्या गलत है क्या सही
खुद को मैं छोटा कहूँ तो तुम बड़े हो जाओगे ?
मसनदे इन्साफ पर क्या दोस्ती क्या दुश्मनी
तुम खफा मुझ से अगर होगे पड़े हो जाओगे
बात मेरी गाँठ मे तुम बाँध लो इस दौर मे
काम तब होगा के जब सर पर खड़े हो जाओगे
जिस की गीबत कर रहे हो तुम सभी सर जोड़ कर
आया तो ताजीम मे उठ कर खड़े हो जाओगे
ज़ुल्म सहने की अगर आदत नहीं छोड़ी तो फिर
रफ्ता रफ्ता जेहन से तुम हीज्ड़े हो जाओगे
अहले तिलहर के लिए बच्चे ही हो आदिल रशीद
तुम ज़माने के लिए बेशक बड़े हो जाओगे आदिल रशीद

1 comment:

नीरज गोस्वामी said...

सच को समझाने की खातिर ये दलीलें ये जूनून
देख लेना एक दिन तुम चिडचिडे हो जाओगे

सुभान अल्लाह...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...दाद कबूल करें...

नीरज