Friday, November 19, 2010

अपने हर कौल से, वादे से पलट जाएगा..

ग़ज़ल
अपने हर कौल से, वादे से पलट जाएगा
जब वो पहुंचेगा बुलंदी पे तो घट जाएगा

अपने किरदार को तू इतना भी मशकूक न कर
वर्ना कंकर की तरह से दाल से छट जाएगा

जिसकी पेशानी तकद्दुस  का पता देती है
जाने कब उस के ख्यालों से कपट जाएगा

उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर
सरफिरा है वो,  उसी वक़्त पलट जाएगा

क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा
मसअला घर का है बातों से  निपट जाएगा

आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी
तुम बुलाओगे तो कूजे में सिमट जाएगा  
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6 comments:

दिगम्बर नासवा said...

Gazab ...kamaal ki gazal aur lajawaab sher hain sab ... subhaan alla ...

सुभाष नीरव said...

भाई आदिल जी
आपकी ग़ज़ल के ये दो शेर तो लाजवाब लगे-

क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा
मसअला घर का है बातों से निपट जाएगा


आसमानों से परे यूँ तो है वुसअत उसकी
तुम बुलाओगे तो कुजे में सिमट जाएगा

खूब ! बहुत खूब !!

निर्झर'नीर said...

उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर
सरफिरा है वो, उसी वक़्त पलट जाएगा

क्या ज़रूरी है के ताने रहो तलवार सदा
मसअला घर का है बातों से निपट जाएगा

ye dono sher kuch jyada hi pasand aaye

daad kubool karen

शरद तैलंग said...

आदिल भाई
आपका ब्लॊग देखा । आप तो बहुत पंहुचे हुए शायर है । मैं भी कुछ समय से ग़ज़लों की विधा को सीखने की कोशिश कर रहा हूँ । कृपया बताने की कृपा कीजिए कि आपकी इस ग़ज़ल कौन सी बहर प्रयोग में आएगी ऒर तक्ती किस प्रकार की जाएगी ।
एक शंका और - कुजे शब्द कुन्जे है या कूजे क्योंकि ’तुम बुलाओगे तो कुजे में सिमट जाएगा’ में मुझे गाते समय कुछ लय में कुछ कमी लग रही है ।

पारुल "पुखराज" said...

उसके बढ़ते हुए क़दमों पे कोई तन्ज़ न कर
सरफिरा है वो, उसी वक़्त पलट जाएगा
vaah!

Aadil Rasheed said...

पुखराज जी आप का तो नाम ही पुखराज है शेर पसंद आने का शुक्रिया धन्यवाद
शरद तैलंग जी आप गायक है ये आज ही डाक्टर अजय जी से पता चला था खैर आपने पूछा कुजे है या कूजे तो जनाब सही लफ्ज़ कूजे है