Monday, August 23, 2010

न दौलत जिंदा रहती है न चेहरा जिंदा रहता है

                        ग़ज़ल
न दौलत जिंदा रहती है न चेहरा जिंदा रहता है

बस इक किरदार ही है जो हमेशा जिंदा रहता है

कभी लाठी के मारे से मियां पानी नहीं फटता
लहू में भाई से भाई का रिश्ता जिंदा रहता है

ग़रीबी और अमीरी बाद में जिंदा नहीं रहती
मगर जो कह दिया एक एक जुमला जिंदा रहता है

न हो तुझ को यकीं तारीखएदुनिया पढ़ अरे ज़ालिम
कोई भी दौर हो सच का उजाला जिंदा रहता है

अभी आदिल ज़रा सी तुम तरक्की और होने दो
पता चल जाएगा दुनिया में क्या क्या जिंदा रहता है

जुमला=वाक्य तारीखएदुनिया=इतिहास दुनिया का


आदिल रशीद

2 comments:

इस्मत ज़ैदी said...

बहुत उम्दा ! और
बिल्कुल सच!

aadilrasheed said...

shukriya
aadil